भारत के संचार उपग्रह जीसैट-31 ने फ्रांसीसी गुयाना से सफलतापूर्वक लॉन्च किया होम / प्रेस विज्ञप्ति
भारत का सबसे नवीनतम संचार उपग्रह, जीसैट-31 आज तड़के फ्रेंच गियाना के अंतरिक्ष अड्डे से सफलतापूर्वक प्रमोचित किया गया।
कौरु प्रमोचन स्थल, फ्रेंच गियाना से भारतीय मानक समय 02:31 बजे एरियान 5 Vए-247 ने भारत के जीसैट-31 तथा सऊदी के भू-स्थिर उपग्रह 1/ हेलास सैट 4 उपग्रह का वहन करते हुए निर्धारित समय पर उड़ान भरी।
उड़ान भरने के 42 मिनट बाद, जीसैट-31एरियान 5 के ऊपरी चरण से भू मध्यरेखा से 3.0 डिग्री के कोण पर आनत 250 कि.मी. की उपभू (पृथ्वी से निकट बिंदु) और 35,850 कि.मी. की अपभू (पृथ्वी से दूरस्त बिंदु) वाली दीर्घवृत्तीय भू तुल्यकाली अंतरण कक्षा में स्थापित किया गया।
2536 कि.ग्रा. के उत्थापन भार वाला जीसैट-31 भू-स्थिर कक्षा में के.यू. बैंड की क्षमता बढ़ाऐगा। यह उपग्रह कक्षा में प्रचालनरत उपग्रहों की सेवाओं को निरंतरता प्रदान करेगा। जीसैट-31 को इसरो के पूर्व के इन्सैट/ जीसैट उपग्रह श्रृंखला के अनुरूप बनाया गया है।
इसरो अध्यक्ष डॉ. कै. शिवन ने कहा कि ‘’जीसैट-31 का संरूपण अद्वितीय है, जो परिवर्तनीय आवृत्ति खंड तथा परिवर्तनीय कवरेज प्रदान करेगा। यह उपग्रह भारत के मुख्य भू भाग और द्वीपों को संचार सेवा प्रदान करेगा।’’
डॉ. शिवन ने यह भी उल्लेख किया कि ‘’जीसैट-31 डी.टी.एच. टेलीविजन सेवा, ए.टी.एम., स्टॉक एक्सचेंज हेतु वीसैट संयोजकता, अंकीय उपग्रह समाचार संग्रहण (डी.एस.एन.जी.) तथा ई-शासन अनुप्रयोग प्रदान करेगा। यह उपग्रह कई उभरते दूरसंचार अनुप्रयोगों के लिए भारी मात्रा में आँकड़ा अंतरण के लिए भी उपयोग किया जाएगा’’।
एरियान-5 के ऊपरी चरण से अलग होने के बाद, जीसैट-31 के दो सौर व्यूह एक-के-बाद-एक तत्काल स्वत: प्रस्तरित हो गए और कर्नाटक के हासन में स्थित इसरो की मुख्य नियंत्रण सुविधा ने जीसैट-31 का आदेश एवं नियंत्रण कार्य अपने हाथ में ले लिया और उसके स्वास्थ्य प्राचल सामान्य पाए।
आगामी दिनों में, वैज्ञानिक उपग्रह का भू स्थिर कक्षा (भू मध्यरेखा के 36000 कि.मी. ऊपर) में चरण-वार कक्षा-संवर्धन युक्तिचालन करेंगे, जिस हेतु ऑन-बोर्ड नोदन प्रणाली का उपयोग किया जाएगा।
उसके कक्षा-संवर्धन प्रचालन के अंतिम चरणों में, जीसैट-31 का ऐंटेना परावर्तक प्रस्तरित किया जाएगा। इसके पश्चात्, उपग्रह को उसके अंतिम कक्षीय संरूपण में स्थापित किया जाएगा। उपग्रह, अपनी सभी कक्षीय जाँचों के सफलतापूर्वक पूरा होने के पश्चात् प्रचालनात्मक किया जाएगा।